कलम ,दवात ,इश्क़ ,नगमे ,अफ़साने अब मेरे हाथों में मय भरा इक प्याला है, मंदिर मस्जिद स कलम ,दवात ,इश्क़ ,नगमे ,अफ़साने अब मेरे हाथों में मय भरा इक प्याला है, म...
अदृश्य मंज़िल अदृश्य मंज़िल
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
"सफर, मंजिल, जिंदगी "सफर, मंजिल, जिंदगी
शायद तुम पानी से भरा हुआ बड़ा समन्दर हो और मैं बस पानी का एक लोटा शायद तुम पानी से भरा हुआ बड़ा समन्दर हो और मैं बस पानी का एक लोटा
तेरी साथ ने ऐसा असर दिखाया मैंने अपने आप को अलग सा पाया कोई रिश्ता तो नहीं, न कोई वादा तेरी साथ ने ऐसा असर दिखाया मैंने अपने आप को अलग सा पाया कोई रिश्ता तो नहीं, न ...